पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले बहुत से पेड़ पौधों के विभिन्न उत्पादों (फल,छाल, पत्ती इत्यादि) का उपयोग औषधि के रूप में सदियों से होता आ रहा है .इसी क्रम में हम बात करेंगे घिंघारु(Indian hawthorn) की जिसका वानस्पतिक नाम Pyracantha crenulata एवं कुल rosaceae है.यह एक झाड़ीनुमा , बहुवर्षीय पौधा होता है एवं इसके फल देखने में सेब जैसे एवं आकार में बहुत ही छोटे होते हैं और स्वाद में हल्का खट्टा - मीठा होता है.
इसके आकर्षक रंग के कारण छोटे बच्चे इसे बहुत पसंद करते हैं. घिंघारु पक्षियों का भी बहुत अच्छा आहार है .घिंघारु की मुलायम टहनियों का इस्तेमाल दातून के रूप मे एवं पत्तियों का हर्बल काढ़ा बनाने में किया जाता है.
हिमालयी क्षेत्रों में यह 800 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर पथरीली भूमि में प्राकृतिक रूप से उगता है.
स्वाद में तुलनात्मक रूप से कम अच्छा परंतु औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. Anti-oxidant व anti - inflammatory गुणों के साथ घिंघारू हृदय विकार ,रक्तचाप व मधुमेह में भी लाभकारी होता है. इसके अलावा विटामिंस, मिनरल्स ,प्रोबायोटिक्स इत्यादि का भी अच्छा स्रोत है.
घिंघारु के हृदय संबंधी फायदे देखते हुए Defence Institue of Bioenergy Station , पिथौरागढ़ ने इसके औषधीय गुणों का अध्ययन किया है एवम "हृदय अमृत" नाम की एक कार्डियोटोनिक तैयार किया है.
घिंघारू के औषधीय महत्व को देखते हुए इसके व्यवसायिक खेती की आवश्यकता है जिससे विभिन्न उत्पाद तैयार हो सकें एवं स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर भी मिले.
घिंघारू के बारे में कोई रोचक अनुभव या जानकारी है तो साझा करें.
( सभी जानकारियां विभिन्न लेखों के अध्ययन एवं स्थानीय लोगों के साथ बातचीत पर आधारित हैं)
फोटो साभार: रेनू धामी, पिथौरागढ़,उत्तराखंड.
इसके आकर्षक रंग के कारण छोटे बच्चे इसे बहुत पसंद करते हैं. घिंघारु पक्षियों का भी बहुत अच्छा आहार है .घिंघारु की मुलायम टहनियों का इस्तेमाल दातून के रूप मे एवं पत्तियों का हर्बल काढ़ा बनाने में किया जाता है.
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हिमालयी क्षेत्रों में यह 800 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर पथरीली भूमि में प्राकृतिक रूप से उगता है.
स्वाद में तुलनात्मक रूप से कम अच्छा परंतु औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. Anti-oxidant व anti - inflammatory गुणों के साथ घिंघारू हृदय विकार ,रक्तचाप व मधुमेह में भी लाभकारी होता है. इसके अलावा विटामिंस, मिनरल्स ,प्रोबायोटिक्स इत्यादि का भी अच्छा स्रोत है.
घिंघारु के हृदय संबंधी फायदे देखते हुए Defence Institue of Bioenergy Station , पिथौरागढ़ ने इसके औषधीय गुणों का अध्ययन किया है एवम "हृदय अमृत" नाम की एक कार्डियोटोनिक तैयार किया है.
घिंघारू के औषधीय महत्व को देखते हुए इसके व्यवसायिक खेती की आवश्यकता है जिससे विभिन्न उत्पाद तैयार हो सकें एवं स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर भी मिले.
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( सभी जानकारियां विभिन्न लेखों के अध्ययन एवं स्थानीय लोगों के साथ बातचीत पर आधारित हैं)
फोटो साभार: रेनू धामी, पिथौरागढ़,उत्तराखंड.